मेरे संघर्ष में छुपा आकाश
Aakash Babu
4/10/20251 min read


मेरे संघर्ष में छुपा आकाश
Aakash Babu
10 April 2025
Kaushambi, Uttarpradesh
मैं हूँ आकाश बाबू, एक छोटे से गाँव से आया एक बड़ा सपना देखने वाला लड़का। मेरा जन्म एक बेहद साधारण और आर्थिक रूप से संघर्षशील परिवार में हुआ। घर की दीवारें मिट्टी की थीं, लेकिन माँ-बाप की उम्मीदें पत्थर से भी मजबूत। जहाँ दो वक़्त की रोटी भी कई बार एक संघर्ष बन जाती थी, वहाँ से निकलकर किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय तक पहुँचना, किसी चमत्कार से कम नहीं था।
मेरे पास न ब्रांडेड किताबें थीं, न कोचिंग का सहारा। बस एक अटूट विश्वास था – खुद पर, और उस ईश्वर पर जिसने मेरी किस्मत में कुछ बड़ा लिखा था। जब मैंने इस विश्वविद्यालय के लिए आवेदन किया, उस वक़्त मुझे न इस शहर का नाम ठीक से पता था, न ही इसके माहौल की कोई जानकारी। लेकिन दिल ने कहा, "आकाश, तू उड़ सकता है।" और मैंने उड़ान भर दी – अनजाने शहर की ओर, एक नई पहचान की तलाश में।
जब मैं यहाँ पहुँचा, तो आँखों में ढेरों सपने थे, और दिल में डर भी। मुझे लगा था कि बस पढ़ाई होगी, डिग्री मिलेगी और नौकरी लग जाएगी। पर यह विश्वविद्यालय मेरे लिए सिर्फ एक शिक्षण संस्थान नहीं बना – यह मेरे जीवन की पाठशाला बन गया। यहाँ मैंने किताबों से ज़्यादा इंसानियत से सीखा।
यह जगह मुझे धीरे-धीरे एक बेहतर इंसान बना रही है – संवेदनशील, समझदार और सहयोगी। समाज सेवा में भाग लेकर मैंने जाना कि असली शिक्षा दूसरों के दर्द को महसूस करना और उनकी मदद करना है। मानवता का अर्थ अब मेरे लिए केवल दया दिखाना नहीं, बल्कि बिना किसी अपेक्षा के किसी और के लिए कुछ करना बन गया है।
हालाँकि, यह रास्ता आसान नहीं रहा। भाषा की मुश्किलें, शहर की चमक-धमक से खुद को जोड़ना, और सबसे बढ़कर, आर्थिक कठिनाइयों से जूझना – ये सब आज भी मेरी लड़ाई का हिस्सा हैं।
कई बार हालात ऐसे आए कि मैं अंदर से पूरी तरह टूट गया था, ऐसा लगा जैसे अब कुछ नहीं बचा। लेकिन ऐसे वक़्त पर मेरे सीनियर्स और प्रोफ़ेसर्स ने मुझे न केवल सहारा दिया, बल्कि मुझे फिर से खुद पर विश्वास करना सिखाया। उनके शब्दों ने मेरी आत्मा को छू लिया – "आकाश, तुम बस हिम्मत मत हारना, तुम्हारी मेहनत एक दिन जरूर रंग लाएगी।"
जो मैं पहले था – एक डरपोक, चुप रहने वाला और खुद को कमतर मानने वाला लड़का – अब वो आकाश नहीं रहा। आज मैं आत्मविश्वासी हूँ, दूसरों की मदद के लिए आगे बढ़ता हूँ, और हर परिस्थिति में मुस्कुराना जानता हूँ। यह कैम्पस मेरे लिए एक मंदिर की तरह है, जिसने मुझे न केवल शिक्षा दी, बल्कि जीने की कला भी सिखाई। और आज जब मैं अपने भीतर झाँकता हूँ, तो एक नया इंसान नज़र आता है – जो अपने साथ-साथ औरों को भी ऊपर उठाने का सपना देखता है।
अंत में, मैं दिल से धन्यवाद देना चाहता हूँ उन सभी लोगों को – मेरे माता-पिता, मेरे सीनियर्स, प्रोफ़ेसर्स और दोस्तों को – जिन्होंने मेरे संघर्ष के हर मोड़ पर मेरा साथ दिया। अगर आज मैं खुद पर विश्वास करना सीख पाया हूँ, तो वो आपकी वजह से है। बहुत बहुत धन्यवाद ; 🙏humanity@2047 के संस्थापक को भी विशेष धन्यवाद देना चाहता हूँ, जिनके दृष्टिकोण और सेवा-भाव ने हम जैसे असंख्य युवाओं को अपनी पहचान और मंज़िल तक पहुँचने का मंच दिया।
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